nathi nonsense
अंदर क्या है?
अपना चौबीसवाँ जन्मदिन मनाकर घर लौटते वक़्त मुझे बड़ा खालीपन महसूस हुआ। यह वैसा खालीपन था जो किसी अपने के घर छोड़ जाने के बाद महसूस होता है। पर सच कहूँ तो मुझे कोई छोड़ कर नहीं गया, अगर कुछ छोड़ कर गया है तो वह है बस मेरा बीता हुआ कल; और उस बीते हुए कल में बसा हुआ मैं, जो शायद ज़्यादा खुश था उस मैं से जो बसा हुआ है आज में। आज में बसा हुआ ऐसा मैं जिसे काफी समय से कुछ कहना है, कुछ लिखना है, कुछ सुनाना है। ऐसा नहीं है कि कहानियाँ खत्म हो गई हैं कहने को, लिखने को, सुनाने को। वो हैं और हमेशा रहेंगी। बस फिलहाल वह कही नहीं जा रही, लिखी नहीं जा रही, सुनाई नहीं जा रही। बड़ा अजीब से एहसास है ये, है न?
खैर, क्या तुम्हारे साथ भी कभी ऐसा हुआ है, की तुम्हे बहुत रोना आया हो, और बस रो ही न पाए हो?
-Purvang Joshi
(Image source – unsplash.com)