nathi nonsense
आम रस
हमारे घर मे हर प्रसंग मे आम रस बनाने की परंपरा थी। पिताजी को आम रस पीना पसंद था और माँ को पीलाना। हालांकि माँ ने बचपन से ही कम पीया था।
लड़के के जन्म के प्रसंग में बहुत प्यार से आम रस बनता था, और लड़की के जन्म के प्रसंग में सिर्फ शक्कर से।
लड़के के स्कूल में अच्छे नंबर लाने के प्रसंग में आनंद से, और लड़की के स्कूल में अच्छे नंबर लाने के प्रसंग में सिर्फ बहाने से। हालाकी लड़की के स्कूल जाने का प्रसंग कम ही आता था।
लड़का नौकरी पर जाता था तब बड़े गर्व से आम रस बनता था, पर जब लड़की जाती थी तब घृणा से।
लड़का जब पैसे कमा के लाता था तब पितजी अपनी बचत से आम रस बनवाते थे, मगर लड़की के प्रसंग में उसकी कमाई से आम लाने को बोला जाता था।
लड़के की शादी हुई तब खुशियों का आम रस पिया गया, और लड़की के प्रसंग में राहत का, जैसे कोई बोझ हलका हुआ हो।
लड़के के मरने के प्रसंग में शोक से भरा आम रस कोई नही पीता था, मगर लड़की के मरने के प्रसंग में आम रस में शोक का न होना आम था।
लड़के की बरसी पर उसकी यादों से भरा आम रस पीया जाता था, लड़की की बरसी का कोई प्रसंग ही नही था।। – श्याम
Written by: Shyam Sony
Picture credits: @artwhoring
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