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  • Writer's picturenathi nonsense

मुलाकात

तंग आ चुका हूँ मैं अब उसका इंतज़ार करते करते। कम्बख़्त इतना इंतज़ार तो आज तक मुझे मेरी बीवी ने भी नही करवाया कभी। खैर, इसका मुझे इंतज़ार करवाना कुछ हद तक जायज़ है। पता है मुझे, कभी न कभी तो मुझसे मिलने आने ही वाली है वो। पहले कई बार मुझे ठग चुकी है। काफी बार झूठे वादे कर चुकी है मुझसे मिलने के। कभी कहती है कल, तो कभी कहती है अगले हफ्ते, तो कभी कहती है अगले महीने। पर आज तक मिलने नही आई है मुझसे। जब भी मुझसे मिलने आना होता है, तब किसी और से मिलने चली जाती है। और मैं कुछ कर भी नही सकता। कर तो क्या, कुछ कह तक नही सकता मैं उससे। वो कहाँ किसी का सुनती है। अपनी मर्ज़ी की मालकिन है वो। और क्यों न हो? इतनी बड़ी हस्ती जो है वो। हमेशा किसी न किसी की चर्चा में रहती है।

कुछ हफ़्तों पहले बात हुई थी मेरी उससे। कहा था 21 दिसंबर को आउंगी, इंतज़ार करना मेरा। मैं काफी खुश था। आखिर में वो दिन आने वाला था जब मैं उससे मिल पाता। मैं नहा-धो कर तैयार हो गया था, कमरे में रूम फ्रेशनर छिडक दिया, घर पर भी सब को बता दिया था मैंने। और तो और उसका पसंदीदा, चंदन का इत्तर भी लगा लिया था। मगर साली फिर से दगा दे गई मुझे। नही आई इस बार भी। मन तो करता है कि जब वो मुझसे मिलेगी तब पहले 2-4 ज़ोर की थप्पड़ लगाऊंगा मैं उसे।

आज 3 जनवरी हो रही है। अब तो अच्छे दिन भी आ गए हैं। भाजपा की सरकार भी वापस आ गई है। पता नही वो कब आएगी।

अरे, रुको! लगता है वो आ चुकी है। हाँ। मेरे कमरे के दरवाज़े पर ही खड़ी है। मुस्कुरा रही है मेरे सामने देख कर।

“अंदर भी आ जाओ अब, और कितना तड़पाओगी मुझे?”, मैं कहता हूं उससे।

“नही। रुको। मैं पहले तुम्हारे बेटे से मिल आती हूँ। वो तुमसे काफी जवान है ना? फिर तो और मज़ा आएगा मुझे। तुम तो यहीं रहने वाले हो हमेशा। तुमसे किसी और वक़्त मिल लुंगी। शायद अगले हफ्ते, या…अगले महीने, या…पता नही कब। फिलहाल जा रही हूँ मैं। इंतज़ार करना मेरा। अलविदा।”

चली गई वो। बस ऐसे ही, मुझे इस बिस्तर पर छोड़कर, चली गई वो। मैं तो हमेशा से कहता आया हूँ! बड़ी कम्बख़्त, कमीनी और नीच है ये मौत। जिससे मिलने जाना होता है, जिसको उससे मिलना होता है, उससे मिलने जाती नही और बाकी सब के पास चली जाती है।

-Purvang J.

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